हिमाचल से सटी चीन की सीमा तक श्रीनगर से सेना को पहुंचना होगा और आसान, इस सड़क को मिला एनएच का दर्जा

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हिमाचल प्रदेश से सटी चीन की सीमा पर श्रीनगर से पहुंचना और भी आसान होगा। इसके लिए अब दुर्गम मार्ग लेह से होकर नहीं जाना पड़ेगा। न ही जम्मू, पठानकोट, मनाली होकर लंबा रास्ता पकड़ना पड़ेगा।

भारतीय सेना को हिमाचल प्रदेश से सटी चीन की सीमा पर श्रीनगर से पहुंचना और भी आसान होगा। इसके लिए अब दुर्गम मार्ग लेह से होकर नहीं जाना पड़ेगा। न ही जम्मू, पठानकोट, मनाली होकर लंबा रास्ता पकड़ना पड़ेगा। अब श्रीनगर से किश्तवाड़ होकर हिमाचल प्रदेश के तांदी-किलाड़-संसारीनाला सड़क से लाहौल और फिर किन्नौर पहुंचा जा सकेगा। अब रक्षा मंत्रालय ने इस सड़क का दर्जा बढ़ाकर इसे नेशनल हाईवे कर दिया है। यही नहीं, तांदी-किलाड़-संसारीनाला मार्ग को अब डबललेन किया जाएगा। इसकी डीपीआर को मंजूरी मिल गई है। अभी तक ये मार्ग सिंगल लेन था। सेना भी इस मार्ग का इस्तेमाल नहीं करती थी।

इस मार्ग से पांगी-किलाड़ से किश्तवाड़ समेत लाहौल घाटी के लोगों का आवागमन भी आसान होगा और इन इलाकों में पर्यटन को पंख लगेंगे। पाकिस्तान और चीन के सीमावर्ती इलाकों तक भारतीय सेना की पहुंच आसान बनाने के मकसद से तांदी-किलाड़-संसारीनाला मार्ग को अपग्रेड किया गया है। हाईवे के डबललेन बनने से भारतीय सेना मनाली-तांदी-संसारीनाला से किश्तवाड़ और उधमपुर होकर श्रीनगर पहुंचेगी। यह मार्ग सर्दी के मौसम में भी यातायात के लिए बहाल रहता है। वर्तमान में तांदी-किलाड़-संसारीनाला सड़क का अधिकतर हिस्सा वनवे हैं और लगातार भूस्खलन और हिमस्खलन के कारण अवरुद्ध होता रहता है।

ऐसे में अब सीमा सड़क संगठन का प्रोजेक्ट दीपक इस राष्ट्रीय राजमार्ग को डबललेन बनाएगा। इस सड़क से सामरिक और पर्यटन की दृष्टि से जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के बीच अपनी कनेक्टिविटी क्षमता बढ़ेगी। सीमा सड़क संगठन के अनुसार सड़क तांदी से थिरोट के बीच 30 किलोमीटर, उदयपुर से तिंदी तक 40 से 70 और शोर से किलाड़ तक 96 से 125 किलोमीटर के दायरे के बीच का हिस्सा डबललेन होगा, जो 89 किलोमीटर है। इसकी डीपीआर को मंजूरी मिल गई है। अब सीमा सड़क संगठन हाईवे के भूमि अधिग्रहण और वन मंजूरी की प्रक्रिया पर काम कर रहा है। बीआरओ के अधिकारी बीडी धीमान ने कहा कि तांदी-किलाड़-संसारीनाला मार्ग डबललेन होगा।


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