अब प्लास्टिक प्रदूषण भी बन रहा मानसिक तनाव और थकावट का कारण, लगातार बढ़ रहे मामले

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प्लास्टिक पर्यावरण को अधिक प्रदूषित कर रहा है। वर्तमान में प्लास्टिक के हर कहीं फेंकने और जलाने से आंखों में जलन समेत कई बीमारियां हो रही हैं।

प्लास्टिक प्रदूषण भी अब मानसिक तनाव, थकावट और निद्रा का कारण बनता जा रहा है। इसका खुलासा जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से आयोजित कार्यशाला में हुआ है। इसमें बताया गया कि प्लास्टिक प्रदूषण से पीड़ित लोग अस्पतालों में उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। इस तरह के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। आगामी दिनों में अगर प्लास्टिक का इस्तेमाल कम न हुआ तो अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाएगा। यही नहीं खुले में फेंकने वाले प्लास्टिक से भी लोगों को नुकसान हो रहा है। यह प्लास्टिक मृदा में मिलकर सब्जी और फलों के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश कर रहा है।

इससे कैंसर समेत अन्य बीमारियों के मामले सामने आ रहे हैं। यह अदृश्य मानव शत्रु जानलेवा साबित हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग भी इन मामलों को लेकर काफी चिंतित है। गोर रहे कि प्लास्टिक पर्यावरण को अधिक प्रदूषित कर रहा है। वर्तमान में प्लास्टिक के हर कहीं फेंकने और जलाने से आंखों में जलन समेत कई बीमारियां हो रही हैं। वहीं, सांस के रोगी भी बढ़ने लग गए हैं। इसी के साथ अन्य गंभीर बीमारियों का खुलासा भी प्लास्टिक प्रदूषण के कारण हुआ है।

प्लास्टिक प्रदूषण से पीड़ितों का डाटा एकत्रित किया जाएगा
जिले में आगामी दिनों में अस्पतालों में आने वाले प्रदूषण पीड़ित मरीजों का डाटा भी लिया जाएगा। इसके लिए अस्पतालों में मानसिक तनाव समेत अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों से बीमार होने का कारण भी पूछा जाएगा। इससे डाटा एकत्र होने के बाद आगामी दिनों में इस पर विचार किया जाएगा और स्वास्थ्य विभाग को इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी।

प्लास्टिक का सही निष्कासन न होने के कारण यह मानसिक तनाव, थकावट, निद्रा, कैंसर, आंखों में जलन समेत अन्य बीमारियों का कारण बनता जा रहा है। प्लास्टिक प्रदूषण को समय से न रोका गया तो आगामी समय से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना होगा। प्लास्टिक के दुष्परिणामों के बारे में स्वास्थ्य विभाग भी लोगों को जागरूक करेगा।-डॉ. एके सिंह जनस्वास्थ्य अधिकारी और जिला कार्यक्रम अधिकारी (स्वास्थ्य)


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