सोलन 8 जून– फिलफाट फोरम सोलन की ओर से आयोजित आखिल भारतीय नृत्य नाटक व संगीत प्रतियोगिता के दुसरे दिन कुल तीन नाटकों का मंचन किया

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दुसरे दिन 3 नाटकों का मंचन
नाटकों के माध्यम से की गई समाजिक कुरीतियों पर चोट
सोलन 8 जून– फिलफाट फोरम सोलन की ओर से आयोजित आखिल भारतीय नृत्य नाटक व संगीत प्रतियोगिता के दुसरे दिन कुल तीन नाटकों का मंचन किया गया सीईएस परफॉरमिगं एण्ड फाईन आर्ट्स एकाडमी आया गुजरात की ओर से मरशिया प्रस्तुत किया गया नाटक में बतलाया गया कि…….
जमीदारी प्रथा भारत में मुगलकाल और ब्रिटिश काल में प्रचलित एक राजनैतिक- सामाजिक कुरीति थी, जिसमें भूमि का स्वामित्व उस पर काम करने वालों का न होकर किसी और का मतलब जमीदार का होता था।जो खेती करने वालों से कर वसूलते थे। बड़े जमीदार हमेशा प्रतिक्रियावाद के समर्थक थे। वो हमेशा गरीबों की गरीबी,लाचारी का भरपूर फायदा उठाते थे विशेष रूप से निम्न जाति के समुदाय का, नाटक में महिलाओं के शारीरिक शोषण का घिनौना रूप दिखलाया गया ।
सोम्य बारहिया, देवांग सुथार ने जीवन सिंह, ओम गोहिल ने मुखी, पी.बर्हमभट ने शायामली के पात्रों को निभाया।
युनाइटेड आर्टिस्ट पटियाला द्वारा सादत हसन मंटो द्वारा लिखित ‘ टोबा टेक सिंह ‘ जिसका
निर्देशन रमणीक घुमन ने किया नाटक में पागलखाने में रह रहे कुछ पागलों के माध्यम से भारत पाक बंटवारे के दर्द को सामने रखा है. इन पागलों के बीच टोबा टेक सिंह गांव का रहने वाला बिशन सिंह सिख विक्षिप्त है जो अक्सर गुमसुम रहता है, बैठता या सोता भी नहीं है. बस कभी-कभी दीवार की टेक लेकर खड़ा हो जाता है. कुछ पूछने पर उसका एक ही ऊल-जलूल जवाब होता है – उपड़ दी गुड़गुड़ दी एनक्स दी बेध्याना दी मुंग दी दाल ते अंटशंट ऑफ़  दी लालटेन ऑफ़  दी गोरमेंट …
टोबा टेक सिंह के रूप में रमणीक घुमन, गुरनूर कौर ने बिरी, साहिल खान ने प्रौफैसर, आलम ने डाक्टर तथा हरजोत सिंह ने नूर सिंह का किरदार निभाया।
प्रतियोगिता के अन्तर्गत तीसरी प्रस्तुति गायत्री कॉन्वेंट नंदनवन नागपुर द्वारा प्रस्तुत नाटक मुक्ति रहा जिसका निर्देशन मंगेश मधुकर साल्पेकर द्वारा किया गया समर वोबड़े द्वारा लिखित इस नाटक में वह लोग जो वंश बढा़न के लिए हमेशा लड़के की चाह रखते हैं वह भूल जाते हैं कि इस विश्व का निर्माण करने वाले ब्रह्मा का ब्रह्म ज्ञान भी माता सरस्वती के बिना अधूरा है महाशक्तिशाली महादेव की अपार शक्ति आदिशक्ति के बिना अधूरी है इस विश्व का पालन करते हुए विष्णु देव माता लक्ष्मी के बिना अधूरे हैं
ब्राह्मड के सबसे शक्तिशाली विद्वान पुरुष स्त्री के सामर्थ्य के बिना अधूरे हैं। आज के युग में लड़की लड़कें में कोई अन्तर नहीं।
नाटक में पल्लवी कृपाल ने सुमन, सुदीप तेरोडे ने सुनील,मंयक बैस ससुर, विधी खराबे ने सासु माँ का रोल अभिनित किया।
इसके अलावा भारत विभन्न प्रान्तों से आए कलाकारों ने प्रतिस्पर्धा में 8 ग्रुप डान्स, 35 एकल नृत्य दो डयूट पेश किए गये।
सध्या के सत्र में अतिरिक्त उपायुक्त अजय यादव, जिला भाषा अधिकारी ममता वर्मा,पूर्व नगर परिषद् अध्यक्ष कुल राकेश पन्त, डा0 वाई.सी. गुप्ता ने अपनी विशेष उपस्थिति दर्ज करवाई। संस्था की ओर से इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त अजय यादव को सम्मानित किया गया।


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